संगीत का हमारे शरीर में स्थित सप्त चक्रों पर प्रभाव-
भारतीय शास्त्रीय संगीत केवल जन मनोरंजन का ही साधन नहीं है, इसका सम्बन्ध प्रकृति व मानव शरीर से भी रहा है ।
भारत के प्राचीन वेदों में भारतीय संस्कृति व जीवन के तौर-तरीकों का वर्णन किया गया है । उसी में संगीत को सबसे बेहतर माना गया है ।
भारतीय शास्त्रीय संगीत का मानव स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है ।
संगीत के सात सुर ‘‘सा,रे,गा,मा,पा,धा,नि’’ का शरीर पर विशेष प्रभाव पड़ता है ।
वेदों में शरीर के सात चक्रों का वर्णन किया गया है जो मानव शरीर के विभिन्न भागों का संचालन करते हैं ।
संगीत के सात सुरों का इन सात चक्रों पर विभिन्न प्रभाव पड़ता है ।
‘सा’ ‘मूलाधार’
‘रे’ ‘स्वाधिष्ठान’
‘गा’ ‘मणिपुर
‘मा’ ‘अनाहत’
‘पा’ ‘विशुद्ध’
‘धा’ आज्ञा’
‘नि’ ‘सहस्र’
चक्र को सुचारू रखने में मदद करते हैं ।
वेदों में संगीत को योग माना गया है जिससे मानव शरीर स्वस्थ रहता है ।
शरीर रचना विज्ञान के अनुसार सभी बीमारियां वात, पित्त व कफ दोषों के कारण होती है । इन दोषों के निवारण में राग विशेष भूमिका निभाते हैं।
रागों से आत्मिक सुख की अनुभूति होती है जिसके कारण इसे रोग निवारण में उपयुक्त माना गया है ।
Note from Sanjay Roshan Talwar::
This was the basic education that Shree Mataji imparted to us whenever we sat in her divine presence to enjoy night long music at Ganapatiphule between 1986 & 2004. This has been my personal experience. It was during these years of learning and experiencing, when She explained to me how these spontaneously created Bhajans were subtly playing the role of clearing every Chakra.
Though I never tried to identify which bhajan contributed to clearing which Chakra, but often She did mention about a few of my Bhajans, that had the powers to cure certain Chakras. And now that I try to recollect, some amazing memories of her predicament now have begun to reveal unto me.
By regular Meditation and giving Self Realisation to seekers over these years have somehow started to reveal these truths to me, as I have gone into researching it. Slowly as it reveals, I shall be happy to share with you all.
Thanks for meaningful information